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प्रस्तावना - शैक्षणिक एवं सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए शासकीय सेवा में पर्याप्त प्रतिनिधत्व न होने की दशा में आरक्षण की व्यवस्था का प्रावधान किया गया है । भारत सरकार ने सर्वप्रथम मार्च 1953 में काक कालेलकर कमीशन की नियुक्ति की एवं 31 दिसंबर 1978 को पुन: मडल कमीशन की नियुक्ति की गई । वर्ष 1990 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री वीपी सिंह ने मंडल आयोग की सिफारिशों को मानते हुए पिछड़े वार्गो को 27 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा 8 अगस्त 1990 को की और 13 अगस्त 1990 को विधिवत आदेश जारी किया गया ।
छत्तीसगढ राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन - सामाजिक आर्थिक दुर्बलता एवं शैक्षणिक पिछड़ेपन के कारण अन्य व्यक्तियों के समानता पर रहने के अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से छ.ग. राज्य में पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक रूप देने के लिए 2 दिसंबर 2002 के अधिनियम के प्रावधान के अनुसार छ.ग. राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन जनवरी 2007 में किया गया ।
आयोग पिछड़े वर्ग का हितप्रहरी - संविधान के अनुच्छेद 340 (1) के तहत यह व्यवस्था की गई है कि पिछड़े वर्ग को परिभाषित किया जाय तथा राष्ट्रपति आयोग गठित करें और इस आयोग की सिफारिशों के अनुसार पिछड़े वर्ग के उत्थान के लिए कदम उठाये जाएं । 21 जनवरी 1983 को प्रसिद्ध समाज सेवक काका साहेब कालेलकर की अध्यक्षता में 11 सदस्यीय पहला पिछड़ा वर्ग आयोग कठित किया गया इस आयोग में पूरे देश की लगभग 2300 जातियों को पिछड़े वर्ग में शामिल करने के लिए सूची तैयार की पिछड़ा वर्ग के लोगों के शैक्षणिक उत्थान के लिए उच्च शिक्षण संस्थाओं मेडिकल व इंजीनियरिंग महाविद्यालयों आदि में सीटों के आरक्षक एवं शासकीय सेवाओं में आरक्षण की व्यवस्था छग. में की गई है । प्रदेश के पिछड़े वर्ग की जनता को उसका संवैधानिक अधिकार मिले तथा उसका उत्थान हो वह भी राष्ट्र के मुख्य धारा में शामिल हो सके। छ.ग. के पिछड़े वर्ग के लोगों की आकांक्षा को पूरा करने के लिए छ.ग. शासन कृत संकल्पित हैं ।
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